अक्सर ज़िन्दगी के अनजान सफ़र में,
मुसाफिरों के काफिले बन जाते हैं |
औरों के रस्ते हमारी रहे बन जाते हैं,
अपने गिरेबान दूसरों के साये बन जाते हैं,
मुश्किल राहों पे हमसफ़र सहारे बन जाते हैं,
तूफान में बिचरे भी तो नए किनारे बन जाते हैं|
अक्सर ज़िन्दगी के अनजान सफ़र में,
मुसाफिरों के काफिले बन जाते हैं|
काफिलों में भटकते हुए मुसाफिर
अक्सर मंजिलों को पा ही जाते हैं |